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बसंत पंचमी के दिन किसकी पूजा की जाती है

बसंत पंचमी पर विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है तथा सरस्वती मूर्ति स्थापना के साथ गणेश जी को भी पूजने की परंपरा है। पूजा किए जाने की विशेष विधि होती है। इस दिन व्रत रखे जाने का भी प्रचलन है। मान्यता है कि इस दिन जो देवी सरस्वती की पूरी निष्ठाभाव से पूजा करता है उसे तीक्ष्ण बुद्धि व ज्ञान की प्राप्ति होती है।

हिन्दुओं में शिशु जब बाल्यवस्था को प्राप्त करता है तो उसकी शिक्षा की शुरुआत करने के लिए बसंत पंचमी का दिन चुना जाता है व इसी दिन बालक को पहला अक्षर लिखना सिखाया जाता है मान्यता है कि इस दिन शिक्षा प्रारंभ करने से बालक का मन पढ़ाई में लगता है तथा वह ताउम्र पूरी एकाग्रता से शिक्षा ग्रहण करता है। देवी सरस्वती की बालक पर विशेष क्रिया बनी रहे इस कारण इस दिन शिक्षा की शुरुआत करने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है।

इसके साथ-साथ किसी भी कार्य की शुरुआत करने के लिए बसंत पंचमी का दिन शुभ माना जाता है माना जाता है इस दिन कोई कार्य शुरू करने से व्यक्ति उस कार्य विशेष की सफलता के लिए अपना पूरा ज्ञान व समझ लगा पाने में सक्षम होता है।

शास्त्रों के अनुसार सभी जीवों को आवाज देने वाली देवी सरस्वती हैं उन्होंने ने ही इस मौन संसार को वाणी दी है। इन्हें संगीत के सात सुरों की देवी भी कहा जाता है। इनकी प्रत्येक प्रतिमा में इनके हाथों में सदैव वीणा रहती है इस कारण इनका एक नाम वीणादेवी भी है। बसंत पंचमी के दिन गायन क्षेत्र के कलाकार सुरों की देवी सरस्वती के समक्ष अपने वाद्ययंत्र रख कर इनकी पूजा करते हैं। जहाँ भी संगीत का प्रयोग होता है गायन क्षेत्र में, नृत्य क्षेत्र में, कविताओं में हर क्षेत्र के कलाकारों में इस दिन उल्लास छाया रहता है व ये सभी श्रद्धा भाव से देवी सरस्वती की पूजा की पूजा करते हैं।

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