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भारत में 5000 और 10000 के नोट कब चले थे

भारत में वर्ष 2000 के बाद से 500, 1000 व 2000 के बड़े नोट मान्य हुए हैं जिसमें वर्ष 2016 में हुई नोटबंदी के चलते 1000 के नोट अमान्य घोषित किए जा चुके हैं। बड़े मूल्य के नोटों के प्रति भारत सरकार ने सदैव कठोर रूख रखा है। परन्तु एक ऐसा समय भी था जब 5000 व 10000 के नोट भारतीय करेंसी का हिस्सा हुआ करते थे। भारत में पहली बार वर्ष 1938 में 5000 व 10000 के नोट छापे गए थे। यह नोट आने वाले आठ वर्षों तक मान्य रहे। जनवरी 1946 में कालेधन से निपटने के उद्देश्य से सरकार ने इन नोटों को बंद कर दिया यह आधुनिक काल में हुई भारत की पहली नोटबंदी थी। इसमें 5000 व 10000 के बड़े नोट बैन कर दिए गए थे। यह नोटबंदी वर्ष 1954 तक प्रभाव में रही। परन्तु आजाद भारत ने जब पुनः बड़े नोटों की जरूरत महसूस की तब वर्ष 1954 में 5000 व 10000 के नोट दोबारा से छापने शुरू कर दिए गए। अबकी बार इन नोटों की मान्यता 24 वर्षों तक रही। जनवरी 1978 में जनता पार्टी की सरकार व मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्री कार्यकाल में पुनः नोटबंदी हुई तथा 5 हजार व 10 हजार के नोट पुनः बंद कर दिए गए। इस बार भी काले धन से निपटना इस नोटबंदी का मुख्य उद्देश्य था। परन्तु आजाद भारत की इस प्रथम नोटबंदी का भारत की अर्थव्यवस्था पर कोई विशेष प्रभाव नही पड़ा क्योंकि 5 व 10 हजार के बड़े नोट भारत की 90 प्रतिशत जनता ने देखे तक नही थे। 1978 के बाद से आज तक 5 व 10 हजार के नोट कभी भी भारतीय मुद्रा का हिस्सा नही बने।

कब चले: 1938 में
कब बंद हुए: 1946 में
पुनः कब चले: 1954 में
पुनः कब बंद हुए: 1978 में

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