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मुंबई हमला कब हुआ था

मुंबई भारत की आर्थिक राजधानी होने के साथ-साथ समुंद्र किनारे बसा महानगर है। किसी क्षेत्र को जितना खतरा भूमि सीमा से होता है उससे कहीं अधिक खतरा समुंद्री सीमा से होता है। क्योंकि समुंद्र में कोई लैंड ब्लॉकेज अर्थात कोई भौतिक बाधा नही होती जिस कारण वहां पर आतंकियों के लिए छिप कर आना ज्यादा सरल होता है। मुंबई को भी अपनी इसी समुंद्री सीमा से सट्टे होने के कारण हानि उठानी पड़ी। मायानगरी कही जाने वाली मुंबई पर पहला बड़ा हमला 1993 में हुआ था उसके बाद छोटे हमले होते रहे हैं पंरतु वर्ष 2008 में हुए हमले ने 15 साल बाद एक बार फिर मुंबई को दहला कर रख दिया था।

पहला हमला 12 मार्च 1993 को हुआ उस समय सूचना अभाव के कारण इसे रोक पाने में समय लगा जिस कारण 2 घण्टे 10 मिनट के अंदर हुए 13 धमाकों ने 257 लोगों की जान ले ली। 12 मार्च का दिन मुंबई इतिहास में काले दिन के रूप में जाना जाता है। कभी न रूकने वाली मुंबई की रफ्तार अचानक रूक गई जब जगह जगह हो रहे इन धमाकों से डर कर लोगों ने घर से बाहर निकलना बंद कर दिया। इन धमाकों का मुख्य आरोपी याकूब मेमन मुंबई का ही रहने वाला था तथा उसने इन धमाकों की मुख्य रूपरेखा तैयार की थी। मेमन के इस अमानवीय हिंसक और क्रूर अपराध के लिए के लिए उसे 30 जुलाई 2015 को नागपुर जेल में फाँसी तोड़ा गया।

दूसरा हमला 26/11 के नाम से जाना जाता है क्योंकि यह 11 वें महीने नवंबर की 26 तारीख को हुआ था। 26 नवंबर 2008 को हुए इस हमले में 10 आरोपियों ने ताज होटल सहित मुंबई की छः जगहों को निशाना बनाकर 166 निर्दोष लोगों की जान ली थी। इन आरोपियों में से 9 को तो सुरक्षा अधिकारियों ने मौके पर ही मौत के घाट उतार दिया तथा एक आरोपी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया था। पूरी पूछताछ में वह पाकिस्तान का नागरिक साबित हुआ तथा गोलीबारी में संलग्न होने की आधिकारिक पुष्टि होते ही उसे 21 नवंबर 2012 को फाँसी पर लटकाया दिया गया।

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