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वामपंथी कौन हैं तथा भारत में इनका क्या प्रभाव है

राजनीति में बहुत से दल अपने अपने स्तर पर तथा अपने वैचारिक दृष्टिकोण के बलबूते जनता का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने में जुटे रहते हैं। अपनी इस राजनीतिक अभिलाषा के चलते कुछ दल राष्ट्र विकास में सहयोग देकर स्वयं की काबिलियत सिद्ध करने का प्रयास करते हैं तो वहीं कुछ दल विपरीत विचारधारा का प्रसार कर इस कार्य मे अग्रिमता चाहते हैं। वामपंथ भी ऐसी ही राजनीति है जो सत्ता पक्ष के कार्यों का पुरजोर विरोध करती है। वामपंथ का अनुसरण करने वालों को वामपंथी कहा जाता है। वामपंथी सोच के लोग समाजिक व्यवस्था को बदल डालने में यकीन रखते हैं। ये लोग चाहते हैं कि जो कुछ भी समाज में आज है उसे पूरे तरीके से इसके विपरीत होना चाहिए उदाहरण के तौर पर पूंजीवाद का ये लोग विरोध करते हैं ये चाहते हैं कि समाज में प्रत्येक व्यक्ति के पास समान धन व साधन हों तथा कोई अमीर-गरीब न हो जबकि इस तरह की व्यवस्था समाज में अराजकता पैदा करेगी ये जानते हुए भी वामपंथी इसके समर्थन में हैं। समाज का वह वर्ग जो किसी कारणवश पिछड़ गया है तथा चल रही शासन व्यवस्था में खुद को असहज समझता है वह अपनी दशा को सुधारने की आशा से वामपंथी राजनीति को समर्थन कर देता है। इसी पिछड़े दल से सहानुभूति जताकर जो राजनीति की जाती है वह वामपंथी राजनीति कहलाती है। जो दल सत्ता में होता है उसे सत्ता पक्ष या दायां पक्ष (राइट) कहा जाता है तथा क्योंकि वामपंथी इससे उलट विचार रखते हैं इसलिए इन्हें बायां पक्ष (लेफ्ट) कहा जाता है। भारत के अधिक्तर राज्यों में वामपंथी को लेफ्ट नाम से जाना जाता है। भारत के कुछ पिछड़े राज्यों में वामपंथियों का प्रभाव हुआ करता था परन्तु समय के साथ साथ जैसे ही वे राज्य देश की उन्नति से जुड़ रहे हैं वहाँ की जनता सत्ता पक्ष या क्षेत्रिय पक्ष की ओर आकर्षित हो रही हैं वर्तमान में यदि भारतीय जनता के नजरिए की बात की जाए तो राष्ट्रीय स्तर पर भारत में वामपंथ को नकारात्मक नजरिए से देखा जाता है।

कौन है: सत्ता विरोधी राजनीतिक दल
उद्देश्य क्या है: सामाजिक स्थित का तख्तापलट/ आर्थिक समानता
भारत में प्रभाव: घट रहा है
इनके प्रति दृष्टिकोण: नकारात्मक

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