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इतिहास की जानकारी के स्रोत क्या हैं

इतिहास यानी कि वह घटनाएं या जानकारियां जो कि भूतकाल में घट चुकी होती हैं उन्हें इतिहास कहा जाता है। मनुष्य को इतिहास में सदैव से ही रूचि रही है तथा वह जानना चाहता है कि जिस परिस्थिति में आज।हम है वह क्यों है अर्थात इतिहास में ऐसा क्या हुआ और क्या घटा है जिनके कारण आज की वर्तमान परिस्थितियाँ बनी है और इसी जानकारी को प्राप्त करने के लिए इंसान इतिहास को खंगालता रहा है इतिहास केे क्षेत्र में गहन रुचि रखने वाले व इतिहास का पता लगाने वाले वैज्ञानिकों को इतिहासकार कहा जाता है। लेकिन हमारे मस्तिष्क में बहुत बार यह प्रश्न आ जाता है कि आखिर इतिहास का पता कैसे लगाया जाता है। नजदीकी इतिहास के बारे में एक बार समझ में आता है कि इतिहास से जुड़ी विशेष जानकारियों के स्त्रोत समय की मार बच गए होंगेे लेकिन हजारों-लाखों वर्षों पूर्व के इतिहास की जानकारी भी मनुष्य को है आखिर वह जानकारी कैसे जुटाई जाती है और उसमें सटीकता है या नही इस बारे में अनुमान कैसे लगाया जाता है इस बारे में प्रश्न हमारे मस्तिष्क में उठते हैं तो आइए जानते हैं कि आखिर कैसे मनुष्य इतिहास की गहराइयों में इतनी अंदर तक झाँक पाया है।
आज हम मुख्यतः भारत के इतिहास की बात करेंगे भारत के इतिहास को जानने के लिए हमारे पास चार मुख्य स्तोत्र हैं जिनसे हमें इतिहास के बारे में आज तक की संपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई है सबसे पहला स्त्रोत जो हमारे पास है वह है धर्मग्रंथ। आखिर यह हमें इतिहाए के बारे में जानकारी कैसे देता है आइए जानते हैं:

धर्मग्रंथ से जानकारी: भारत तथा विश्व का सबसे प्राचीन धर्म सनातन धर्म रहा है और इसी धर्म से संबंधित चार मुख्य धर्मग्रंथ हैं जिन्हें ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद कहा जाता है। धर्म ग्रंथों में हमें इस बात की जानकारी मिलती है कि इंसान प्राचीन में मनुष्य किन देवताओं को मानता था तथा क्या आज मनुष्य की आस्था में कोई अंतर आया है? आस्था में आए इस अंतर से हमें यह पता चलता है कि पुराने और आज के मनुष्य की समझ में कितना अंतर आया है और विज्ञान केे आगमन से पूर्व मनुष्य किन अवधारणाओं को मानता है क्योंकि इन्ही अवधारणाओं से प्रभावित घटनाओं की वजह से आज की परिस्थियाँ बनी हैं। इसके साथ ही धर्म में अनगिनत रचनाएं लिखी गई हैं तथा कई स्थानों के नाम भी दर्ज हैं जो हमें उस समय के स्थानों का बोध करवाते हैं जिससे पता चलता है कि उस समय इंसान ने किन क्षेत्रों तक अपनी पहुँच बना ली थी। इसके साथ ही में सामाजिक कुरीतियों के बारे में भी बात बताई गई है जिससे हमें एक प्राचीन समाज की एक छवि मिलती है जैसे कि बलि देना आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से ही मनुष्य की सोच का हिस्सा रहा है। यहाँ इतिहासकारों का आस्था ने बहुत साथ दिया क्योंकि धर्मग्रंथ मनुष्य की आस्था की वजह से आज तक सुरक्षित रहे हैं जबकि इनका इतिहास 3000 वर्ष से पूर्व का है। इस तरह हमें आज से 3000 साल पहले सामाजिक व मानसिक स्थिति समझ मिलती है जैसे जैसे हम इन धर्मग्रन्थों का गहन अध्ययन करते हैं और इतिहास को एकाग्रता से पढ़ते हैं वैसे-वैसे और इतिहास की छवि हमारे मस्तिष्क में स्पष्टता से छपती जाती है।

ऐतिहासिक ग्रंथ से जानकारी: धर्मग्रंथों में जब इतिहास के बारे में जानकारी संकलित होती है तथा इतिहास की घटनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त होती है तो ग्रंथों के उन अंशों को इतिहासिक ग्रंथ कहा जाता है। इतिहासिक ग्रंथ और धर्म ग्रंथ एक स्त्रोत के दो नाम है वह हिस्सा जहां इतिहास के बारे में अधिक स्पष्ट लिखा होता है ऐतिहासिक ग्रंथ की श्रेणी में आ जाता है। उदाहरण के लिए अथर्ववेद में कन्याओं के जन्म की निंदा की गई है जिससे हमें प्राचीन भारतीय समाज में महिलाओं की दयनीय स्थिति का पता चलता है। इसके अलावा हमें अंधविश्वासों का विवरण मिलता है जिससे पता चलता है कि पुराना समाज अंधविश्वासों से घिरा हुआ था। इन ग्रंथों का अधिक अध्ययन करने से हम पता लगा सकते हैं कि मनुष्य ने समय के साथ किन अंधविश्वासों को अपने मस्तिष्क से निकाल दिया है वेदों के साथ-साथ पुराणों का भी ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत अधिक महत्व है कुछ पुराणों में राजाओं की वंशावली पाई जाती है तथा यहां से हमें राजाओं के बारे में भी जानकारी मिल जाती है पुराणों में बताया गया है कि शूद्रों को वेद पढ़ने की अनुमति नहीं थी इससे पता चलता है कि उस समय के समाज में असमानता का भाव था। जैसे-जैसे समय आगे-पीछे करके देखते हैं तो हमें इन परिस्थियों में भेद मिलता है और हमें पता चलता है कि समय के साथ भारतीय समाज कैसे बदला।

विदेशी लेखकों से जानकारी: इतिहास के बारे में जानकारी का सबसे मुख्य स्त्रोत है विदेशी लेखकों से मिलने वाली जानकारी। प्राचीन समय में बहुत से विदेशी यात्री भारत की यात्रा पर आए थे जिन्होंने उस समय भारत में जो भी कुछ देखा उसकी जानकारी के लिखित साक्ष्य छोड़े हैं यह लिखित जानकारी हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं उदाहरण के तौर पर मेगास्थनीज चंद्रगुप्त मौर्य के राज दरबार में भारत आया था और उसने अपनी पुस्तक में बड़े ही प्रभावी ढंग से उस समय की स्थिति का चित्रण किया है यह लिखित जानकारी हमारे इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि यह साक्षात देखे गए दृश्य का चित्रण करती है जिससे हम एक लेखक की नज़र से उस समय के इतिहास को साक्षात देख सकते हैं। भारत के इतिहास की लिखित जानकारी देने में यूनानी-रोमन लेखकों और अरबी व चीनी लेखकों का सबसे अधिक योगदान है।

पुरातत्व सबंधी साक्ष्यों से जानकारी: हजारों वर्षों का समय बहुत ही लंबा होता है जिस कारण किसी भी लिखित रचना को ज्यों का त्यों रख पाना बड़ा ही कठिन कार्य होता है और समय के साथ-साथ यह साक्ष्य नष्ट हो जाते हैं लेकिन कुछ साक्ष्य ऐसे भी होते हैं जो कि बहुत ही लंबे समय तक टिके रह सकते हैं जैसे कि पत्थरों पर लिखित रचनाएं। ये रचनाएं या वस्तु रूपी साक्ष्य आमतौर पर भूमि में दबे हुए मिलते हैं। ऐसे साक्ष्य मिलने पर आधुनिक तकनीक से जानकारी प्राप्त की जाती है कि ये साक्ष्य किस काल से संबंधित है और कितने वर्ष पुराने हैं ये साक्ष्य भी इतिहास को जानने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं तथा एक ठोस सबूत बनते हैं। इतिहास को जानने में सिंधु घाटी की सभ्यता में मिले साक्ष्य भारत के इतिहास के बारे में बहुत अधिक जानकारी देते हैं। ठीक ऐसे ही चक्रवर्ती सम्राट अशोक द्वारा आज से 2000 वर्ष पहले विभिन्न अभिलेखों पर जानकारियां लिखी गई थी जोकि आज तक सुरक्षित हैं इस प्रकार हमें कई बार लिखित साक्ष्य मिल जाते हैं जिससे हम उस काल विशेष के बारे में जानकारी जुटाते हैं।

उपरोक्त चार स्त्रोत हमें आज तक का इतिहास बताते हैं और जैसे-जैसे हमें और अधिक साक्षी मिलते हैं हम इतिहास को और अधिक स्पष्टता से समझ पाने में सक्षम होते हैं इस प्रकार के साक्ष्य खंगाल कर हमने आज हजारों और लाखों वर्षों पूर्व का इतिहास ज्ञात कर लिया है।

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