सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

अधीनस्थ न्यायालय किसे कहते हैं?

न्याय व्यवस्था के अंतर्गत, भारत में एक उच्च न्यायालय होता है जो कि लगभग मोटे तौर पर सभी राज्यों के लिए एक अलग से बनाया गया होता है भारत में इनकी संख्या 24 है। उच्च न्यायालय के अंतर्गत एक क्रमबद्धता बनाई गई है जिसके अनुसार उच्च न्यायालय के अंतर्गत अलग-अलग न्यायालय आते हैं और यही न्यायालय अधीनस्थ न्यायालय कहलाते हैं।अब क्योंकि ये न्यायालय राज्य सरकार के कानूनों द्वारा बनाए गए हैं इसलिए अलग-अलग राज्यों में हमें इनके नाम व पद भिन्न दिखाई पड़ते हैं। बावजूद इसके, अधीनस्थ न्यायालयों के मूल ढांचे में एकरूपता दिखाई देती है

भारत के प्रत्येक राज्य में कुछ जिले होते हैं और प्रत्येक जिले में एक न्यायालय होता है जिसे जिला न्यायालय कहा जाता है जो की अधीनस्थ न्यायालय का उदाहरण है इन जिला न्यायालय के आगे भी न्यायालय होते हैं जैसे अतिरिक्त जिला न्यायालय, मुंसिफ मजिस्ट्रेट न्यायालय, विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट इत्यादि। अधीनस्थ न्यायालय के पदानुक्रम के अंत में जो न्यायालय होता है उसे पंचायत न्यायालय के नाम से जाना जाता है यानी कि ग्राम स्तर पर पंचायत लगती है जिसमें समस्याएं सुनी जाती है इन्हें अक्सर न्याय पंचायत या फिर पंचायत अदालत के नाम से पुकारा जाता है ध्यान देने योग्य है कि इन न्यायालय में आपराधिक मामले नहीं सुने जाते।

जिला न्यायालय का प्रमुख कार्य है अधीनस्थ न्यायालय को अपील को सुनना। यद्यपि अधीनस्थ न्यायालय प्रारंभिक मामलों का संज्ञान ले सकते हैं बावजूद इसके कि यह न्यायालय उच्च न्यायालय के अंतर्गत होते हैं संविधान अधीनस्थ न्यायालय की स्वतंत्रता को भी सुनिश्चित करता है। यही कारण है कि जिला न्यायालय में जो जज है उनकी नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है हालांकि यह कार्य उच्च न्यायालय की सलाह पर होता है लेकिन फिर भी एक स्वतंत्रता यहां पर सुनिश्चित होती है।

मौजूदा नियमों की बात की जाए तो मौजूदा तौर पर एक जज जो जिला न्यायालय में नियुक्त होना चाहता है उसके पास 7 वर्षों का वकालत का अनुभव होना चाहिए या फिर किसी भी उच्च न्यायालय में सेवा प्रदान करने का अनुभव होना चाहिए। हालांकि एक बार नियुक्ति हो जाने के बाद उच्च न्यायालय ही इन न्यायालयों पर नियंत्रण लगता है जैसे यदि जिला न्यायालय में कोई पद स्थापना करना है पदोन्नति करनी है या छुट्टी प्रदान करनी है यह सब उच्च न्यायालय द्वारा किया जाता है इस प्रकार मूल नियंत्रण उच्च न्यायालय के हाथ में होता है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट