दीनबन्धु उपनाम से सी. एफ. एंड्रूयूज (Charles Freer Andrews) को जाना जाता है। एंड्रयूज को यह उपाधि प्रवासी भारतीयों के उद्धार के लिए किए गए उनके प्रयासों के चलते मिली है। सर्वप्रथम एंड्रयूज को दीनबंधु की उपाधि भारतीय मूल के गिरमिटिया मजदूर (विदेश भेजे गए भारतीय गुलाम मजदूर) व सामान्य मजदूरों द्वारा फिजी में दी गई थी। ब्रिटिश हुकूमत के समय जब भारतीय लोगों को गुलाम बनाकर दक्षिण अफ्रीका, फिजी, डच, ट्रिनिडाड व टोबैगो जैसे देशों में भेजा जा रहा था व उनका उत्पीड़न किया जा रहा था उस समय दीनबन्धु सी. एफ. एंड्रयूज ने इस मुद्दे में व्यक्तिगत व आधिकारिक हस्तक्षेप कर इन मजदूरों का कल्याण किया। उनके इसी मानवता भरे कार्य के लिए उन्हें दीनबन्धु की उपाधि दी गई। दीनबन्धु का अर्थ होता है गरीबों व दीन-दुखियों का साथी। ब्रिटिश मूल के होते हुए भी भारतीयों के प्रति उनकी संवेदना व उनके द्वारा भारतीयों के लिए किए गए मानवता भरे कार्य सराहनीय है।
किसे कहा जाता है : सी. एस. एंड्रूयूज को
क्यों कहा जाता है : गरीब प्रवासी भारतीयों व गिरमिटिया मजदूरों का उद्धार करने के लिए
विशेषता : ब्रिटिश नागरिक होते हुए भी ब्रिटिश हकूमत के विरोध में पीड़ित भारतीयों का साथ दिया