17. क्या धरती में छेद मात्र
करके पानी निकालना जैसे तथ्य विज्ञान में संभव है: जी हाँ... आपको शायद यह जानकार हैरानी हो कि ऑस्ट्रेलिया में विशेष रूप से
कुछ स्थान ऐसे हैं जहाँ यदि आप धरती में किसी भी आकार का छेद कर दें जो भूमि नीचे
जल को धरातल तक आने के लिए एक रास्ता दे तो जल स्वयं बिना किसी उपकरण की सहायता के
बाहर निकलने लगेगा। कभी-कभी यह जल तीव्र वेग से निकलता है यद्दपि देखने में यह
किसी चमत्कार जैसा लगे लेकिन विज्ञान को समझने वालों के लिए यह एक आम घटना हैं। दरअसल
ऐसे कुँए या छेद उन स्थानों पर होते हैं जो सामान्य स्थानों से गहरे होते हैं जैसे
कि पूरा का पूरा शहर ही एक गहरे स्थान पर बसा हो तब ऐसे स्थान के नीचे स्थित
भूमिगत पानी पर सामान्य स्थानों के नीचे स्थित भूमिगत पानी का दबाव सहना पड़ता है
जिस कारण स्थान मिलते ही ऐसे स्थानों का भूमिगत पानी धरातल पर आ जाता है। शर्त ये
है कि सामान्य स्थानों का जल स्तर गहरे क्षेत्रों के धरातल से ऊँचा हो तभी यह
क्रिया संभव है। इस प्रकार के छिद्रों या कुओं को उत्स्त्रूत कुँए (आर्टेसियन वेल)
कहा जाता है।
18. क्या भूतकाल को देख
पाना संभव है: जी हाँ... भूतकाल को देख
पाना संभव है यदि आप देखना चाहें कि अकबर कैसा दिखाई देता था/ आप जहां आज हैं आज
से हजारों साल पहले उस स्थान पर क्या था/ जब आप एक वर्ष के थे तब कैसे दिखाई देते
थे/ कोई भी ऐसा व्यक्ति जो इस दुनिया में नही है आप उसे भूतकाल में चलते फिरते व
क्रियाएँ करते देख सकते हैं। यद्दपि पहली बार में आपको ये सब असत्य व मनगढ़ंत लगे
किन्तु विज्ञान कहता है कि भूतकाल को देख पाना संभव है। किन्तु बाधा ये है कि भूतकाल
को देखने के लिए आपको प्रकाश की गति से तेज चलना होगा। मान लीजिए आपकी आयु 25 वर्ष
है और आप देखना चाहते हैं कि पाँच वर्ष की आयु में आप कैसे दिखाई देते थे तो आपको
प्रकाश की गति से आगे निकलकर पृथ्वी से 20 प्रकाश वर्ष दूर जाना होगा। इतनी दूरी पर
जाकर जब आप एक शक्तिशाली दूरबीन की सहायता से पृथ्वी पर देखेंगे तो स्वयं को 5
वर्ष का पाएँगे व अपना भूतकाल देख सकेंगे। इसी प्रकार से आप जितने प्रकाश वर्ष दूर
जाएंगे आपको भूतकाल की उतनी पुरानी तस्वीर दिखाई देगी। यद्दपि यह संभव है किन्तु
आसान नही; क्योंकि प्रकाश की गति से तेज चलने का अर्थ भौतिक नियमों को चुनौती देना
होगा यद्दपि आने वाले समय में आधुनिक उपकरणों के मदद से शायद ही ऐसा संभव हो पाए।
विज्ञान इस क्षेत्र में प्रयासरत है।
19. क्या ब्लैक होल दिखाई
देते हैं: जी नही... ब्रहमांड में
स्थित ब्लैक होल अर्थात कृष्ण छिद्रों को नही देखा जा सकता है कारण है प्रकाश का
इनके गुरुत्वाकर्षण की चपेट में आना। ब्लैक होल का गुरुत्वाकर्षण इतना अधिक
शक्तिशाली होता है कि इनकी सतह पर गिरने वाली कोई भी वस्तु पुन: वापिस नही आ सकती
इसी प्रकार जब प्रकाश इनकी सतह पर टकराता तो वापिस नही आ पाता और हम किसी भी वस्तु
को तभी देख पाएंगे जब उससे टकराने के पश्चात कोई प्रकाश हमारी आँखों की रेटिना पर
उसकी छवि बनाएगा। यह क्रिया ब्लैक होल के बारे में पूर्ण नही होती जिस कारण हम
इन्हें नही देख सकते। ब्लैक होल के अस्तित्व की जानकारी मात्र इसके आस-पास की
वस्तुओं पर पड़ने वाले इसके गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से ही लगाई जा सकती है।
20. क्या व्यक्ति का गायब
होना संभव है: विज्ञान के अनुसार व्यक्ति
या कोई भी वस्तु गायब हो सकती है विज्ञान गायब होने को इस प्रकार से परिभाषित करता
है “कोई भी वस्तु जिसके आर-पार बिना किसी रूकावट के प्रकाश जा सके गायब (इनविजिबल)
कहलाती है” यदि ऐसा मनुष्य शरीर के साथ करना सम्भव हो जाए तो मानव अदृश्य हो सकेगा
यद्दपि वह कांच की तरह ठोस भी बना रहेगा। लेकिन जानने योग्य बात ये हैं कि अदृश्य
मानव देख नही सकेगा।
21. गायब मनुष्य/ अदृश्य
मानव देख नही सकेगा क्या इसका कोई वैज्ञानिक तर्क है: अवश्य है... यद्दपि यह बात थोड़ी अजीब लग सकती है कि अदृश्य मानव देख नही सकेगा
लेकिन शत प्रतिशत सत्य है। पीछे के विज्ञान को समझने के लिए आपको यह जानना आवश्यक
है कि हमारे रेटिना पर सामने वाली वस्तु से टकराकर आने वाला प्रकाश एक चित्र बनाता
है जिस कारण हम उस वस्तु को देख पाते है। यदि मनुष्य अदृश्य होगा तो प्रकाश रेटिना
के आर-पार निकल जाएगा अर्थात किसी भी प्रकार का चित्र रेटिना पर नही बनेगा। इस
प्रकार हमारा मस्तिष्क किसी भी प्रकार की कोई छवि ग्रहण नही करेगा और अदृश्य
अवस्था में कुछ भी देख पाना असंभव होगा। एक अन्य तरीके से यदि सारा शरीर अदृश्य हो
लेकिन रेटिना दृश्यवान रहे इस अवस्था में अर्ध-अदृश्य मनुष्य देख पाने में सक्षम
होगा।
22. क्या मरने से पूर्व मृत्यु
का एहसास किया जा सकता है: आंशिक रूप से हाँ...
विज्ञान कहता है कि हमारे अन्दर की वह अनुभूति जो हमें हम बनाती है अर्थात हमारे
मस्तिष्क की क्रियाएं/ विचार/ भावनाएं/ खौफ/ समय का बोध इत्यादि ही जीवन है इसके
विपरीत जब हम किसी भी प्रकार के विचार/ भावना/ खौफ से अछूते रहते हैं और हमें समय
का बोध नही रहता वह स्थिति मृत्यु है। अब मृत्यु का एक आंशिक एहसास करने के लिए
आपको सोते समय का वह एहसास याद करना होगा जिस समय आप किसी भी प्रकार के स्वप्न से
मुक्त होते हैं तथा आपको किसी भी प्रकार का कोई बोध नही रहता। आप नही जानते आपके
आस-पास की क्रियाएं क्या हैं, आप डर से मुक्त होते हैं, आपको समय की तीव्रता का ज्ञान
नही रहता जब ये ही स्थिति अनंत हो जाए अर्थात आपको सदियाँ बीत जाने तक का ज्ञान ना
रहे तब वह स्थिति मृत्यु कहलाती है।
23. किसी को सांप काटने पर
मुँह से चूस कर ज़हर निकालने वाला व्यक्ति क्यों नही मरता: यह एक सामान्य क्रिया है कि जब किसी को सांप काट ले तो
उसके पास को कोई समझदार व्यक्ति सर्प दंश लगे स्थान से ज़हर चूस कर बाहर निकाल देता
है तथा व्यक्ति की जान बचा ली जाती है। अब प्रशन ये उठता है कि चूसते समय यदि दंश
का ज़हर मनुष्य के पेट में भी चला जाए तो वह क्यों नही मरेगा। इसक उत्तर पाने से पूर्व
आपको जानना होगा कि मनुष्य पाचन तंत्र इतना शक्तिशाली होता है कि वह सांप के ज़हर
आसानी से पचा सकता है। क्योंकि यह ज़हर एक प्रकार का प्रोटीन होता है जो खाए गए
भोजन की सहायता से सांप के शरीर की विष ग्रंथि में बनता है सर्प जब बचाव मुद्रा
में होता है तो विष ग्रंथि में बनाए इस ज़हर को दांतों द्वारा मनुष्य शरीर में स्त्रावित
करता है रक्त के रास्ते यह ज़हर हृदय के साथ-साथ सभी अंगों में पहुच जाता है।
मनुष्य के पाचन तंत्र व अमाशय की तरह रक्त में एंजाइम ना होने के कारण रक्त इस ज़हर
को अवशोषित नही कर पाता जिस कारण व्यक्ति मृत्यु द्वार तक पहुंच जाता है। इसीलिए सर्प
विष को मुँह द्वारा खाने पर इंसान की मृत्यु नही होती यद्दपि शर्त यह है कि मुँह
में किसी भी प्रकार की कोई चोट/ छाले इत्यादि ना हो अन्यथा ये विष को रक्त के
सम्पर्क में ले जा सकते हैं।
24. क्या भगवान् का
अस्तित्व है: जब भी विज्ञान के समक्ष यह
प्रश्न आता है तो वह सदैव ना में ही इसका उत्तर देता है। विज्ञान के अनुसार जो भी
आज तक घटित हुआ है, जो कुछ मनुष्य ने ग्रहण किया है, जो भी इस संसार में विद्यमान
है, जहाँ तक मनुष्य की बुद्धि समझ पाई है, इनमें से एक भी वस्तु ऐसी नही है जिसे
पूर्ण होने में किसी भी प्रकार की अलौकिक शक्ति की आवश्यकता पड़े। अर्थात इन सब
क्रियाओं के पीछे भौतिक प्रक्रियाएं ही पर्याप्त हैं। अब बात आती है भगवान् की
परिभाषा की धर्म तथा आस्था के अनुसार सम्पूर्ण ब्रहमांड को बनाने वाली अलौकिक
शक्ति को भगवान् कहा जाता है इस विषय में विज्ञान कोई टिप्पणी नही करता और इसे एक मिथक
मानता है। यद्दपि विज्ञान के अनुसार सकारात्मक ऊर्जा का अस्तित्व अवश्य है यदि उस
सकारात्मक ऊर्जा को भगवान् और नकारात्मक ऊर्जा को शैतान कहा जाए तब ही संभव है कि
विज्ञान इसका हाँ में उत्तर दे।
25. जल्द अपडेट होगा...
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