भारत की करेंसी
या मुद्रा रूपया है:
भारतीय रूपये के इतिहास में
किस वर्ष से लेकर किस वर्ष तक 5 हज़ार तथा 10 हजार के नोटों का प्रयोग किया गया
वर्ष 1954 में शुरू किए गए
इन नोटों को 1978 तक प्रयोग में लाया गया था
भारतीय करेंसी के किसी भी
नोट पर हिन्दी तथा अंग्रेजी के अतिरिक्त कितनी भाषाओँ में नोट की वैल्यू (कीमत) लिखी होती है
15 भाषाओं में (असम, बंगाली,
गुजराती, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मराठी, नेपाली, ओड़िया, पंजाबी, संस्कृत,
तमिल, तेलुगु तथा उर्दू)
कितने प्रतिशत से अधिक फटे
हुए नोट को बदलकर आप इसके बदले नया नोट ले सकते हो
51 प्रतिशत या इससे अधिक
फटा हुआ नोट अगर आपके पास है तो आप इसे बदलकर नया नोट ले सकते हो यही कारण है कि
फटे हुए ज्यादातर नोटों को बैंक लेने से इनकार नही करता क्योंकि वे मात्र 2 से 5
प्रतिशत तक ही फटे हुए होते हैं
रूपए के किस नोट पर भारत के
एक केंद्र शासित प्रदेश “अंडमान निकोबार” के एक स्थल का चित्र अंकित है
20 रूपये के नोट पर
भारतीय मुद्रा के लिए एक
प्रतीक चिह्न चुना गया है, यह कब चुना गया था तथा इसके डिज़ाइनर का नाम बताइए
प्रोफेसर डी. उदय कुमार (आई.आई.टी.
गुवाहाटी) द्वारा डिजाईन भारतीय मुद्रा के चिह्न को 15 जुलाई 2010 को आधिकारिक रूप
से चुना गया था जो कि वर्तमान में जारी किए जा रहे नोटों पर भी अंकित है तथा रूपये
की आधिकारिक पहचान के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है
वर्तमान के नए कंप्यूटर में
रूपये के चिह्न को अंकित कैसे किया जा सकता है
हालांकि रूपये के चिह्न को
सभी कंप्यूटर में अंकित नही किया जा सकता क्योंकि वर्ष 2010 से पूर्व निर्मित हुए
कंप्यूटर में इसके लिए कोई भी शोर्ट कट उपलब्ध नही है लेकिन एप्लीकेशन की सहायता
से यह संभव है या आप इसे इन्टरनेट से कॉपी भी कर सकते हैं इसके अतिरिक्त नवीनतम
कंप्यूटर में CTRL+SHIFT+$ को दबाकर आप इस चिह्न को अंकित कर सकते हैं जल्द ही इस
चिह्न को डिफ़ॉल्ट रूप से डाले जाने के आसार हैं क्योंकि रूपया विश्व की पांचवी एसी
करेंसी है जो अपने यूनिक चिह्न से जानी जाएगी
भारतीय रूपये के लिए आई.एस.ओ.
ISO कोड क्या है
आई. एन. आर. (INR) जिसका
पूर्ण रूप है इंडियन रूपी
किस वर्ष भारतीय करेंसी के
एक रूपये के नोट को बंद कर दिया गया था, तथा कब इसे पुन: संचालित किया गया
एक रूपये के नोट को नवम्बर
1994 में बंद कर दिया गया था क्योंकि इसको बनाने में आने वाला खर्च इसकी वल्यू से
ज्यादा था लेकिन लगभग 20 वर्ष पश्चात एक रूपये के नोट को पुन: जारी कर दिया गया है
जो कि 6 मार्च 2014 को पुन: संचालित किया गया है वित्त मंत्रालय द्वारा जारी इस नोट
पर सचिव के हस्ताक्षर होते हैं
भारतीय करेंसी के सिक्को को
किस स्थान पर निर्मित किया गया है यह किस प्रकार से जाना जा सकता है
सिक्के को किस स्थान पर
निर्मित किया गया है इसके लिए विशेष चिह्न होते हैं सर्वप्रथम यदि सिक्के को मुंबई
में निर्मित किया गया या छापा गया है तो (डायमंड) का निशान अंकित होगा, यदि सिक्के
को नॉएडा में निर्मित किया गया अहै तो (डॉट) का निशान अंकित होगा, यदि सिक्के को हैदराबाद
में निर्मित किया गया है तो (स्टार) का निशान अंकित होगा किन्तु यदि आपको सिक्के
पर उपरोक्त में से कोई निशान नही मिलता अर्थात सिक्का निशान रहित है तो इसका
निर्माण कोलकाता में हुआ है
क्या वर्ष 1947 में रूपये
तथा सयुंक्त राष्ट्र डॉलर की कीमत एक समान थी
जी हाँ, वर्ष 1947 में एक यू.एस.
डॉलर की कीमत एक रूपये के बराबर थी जो वर्ष 2000 तक एक डॉलर बराबर 50 रूपये के पार
पहुँच चुकी थी
वर्तमान में दो धातुओं के
सामजस्य से बनाया जाने वाले दस रूपये के सिक्के को बनाने में कुल खर्च कितना आता
है
6 रूपये लगभग
बहुत ही कम प्रयोग होने
वाली संख्या जो कि करोड़ के बाद आती हैं की सूची बताइए
वर्तमान में 1 रूपये में
100 पैसे होते हैं तथा हिन्दी शब्दानुसार यह संख्या इस प्रकार बढती है: इकाई, दहाई,
सैंकड़ा, हजार, लाख, करोड़, अरब, ख़रब, नील, पद्दम, शंख... हालांकि करोड़ तक ही इस
श्रृंखला का प्रयोग प्रचलित है फिर भी हद से हद ख़रब तक भी प्रचलन में माना जा सकता
है; इनकी जरूरत को ख़त्म करने के लिए 1 अरब को 100 करोड़ कह कर संबोधित किया जाता है
जो समझने में सरल है तथा प्रचलित है
प्राचीन समय में “आन्ना” तथा
एक रूपये को कैसे बांटा जाता था
प्राचीन समय में एक रूपया 16
आन्ने के बराबर होता था तथा 8 आन्ने (आधा रूपया) के बराबर होता था; एक रूपया 192
पाई के बराबर होता था तथा 64 नए पैसे के बराबर होता था
दशमलव प्रणाली (अर्थात 1
रूपया 100 पैसे के बराबर) भारतीय मुद्रा पर कब लागू की गई थी
1 अपरै 1957 को; इसका मुख्य
कारण इसकी आसानी से गणना थी, तथा इस प्रकार से आबंटित कर किसी भी प्रकार की गणना सरलता
से व तेजी से की जा सकती थी
अठन्नी, चवन्नी तथा द्वन्नी
से क्या अभिप्राय है
एक रूपया जो कि 100 पैसे के
बराबर है को जब क्षेत्रिय लोगों द्वारा बांटा जाता था तो ये शब्द प्रचलित थे;
सर्वप्रथम अठन्नी अर्थात 50 पैसे; उसके बाद चवन्नी अर्थात 25 पैसे तथा उसके बाद
द्वन्नी जो ज्यादा प्रचलित नही थी जिस अर्थ था 1 रूपये का आँठवा भाग अर्थात 12.5
पैसे
25 पैसे तथा इससे कम की कीमत
वाले सिक्को की वैधता रिज़र्व बैंक के आदेशानुसार कब समाप्त की गई
30 जून 2011 को 1 पैसा, 2
पैसे, 3 पैसे, 5 पैसे, 10 पैसे, 20 पैसे तथा 25 पैसे की वैधता आधिकारिक रूप से समाप्त
कर दी गई हालांकि इन सिक्को का इस्तेमाल बहुत पहले ही समाप्त हो चुका था आमतौर पर
लें दें में 50 पैसे भी प्रचलन से बाहर हैं लेकिन उनकी वैधता समाप्त नही हुई है