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गुरमुखी लिपि की रचना किसने की थी

गुरमुखी लिपि पंजाबी भाषा को लिखित रूप देने के लिए प्रयोग की जाती है। इसकी रचना सिखों के दूसरे गुरु अंगद देव ने 16 वीं शताब्दी में की थी। वर्तमान में इस लिपि का प्रयोग भारत का पंजाब राज्य मुख्य रूप से करता है। पंजाब में प्रयोग किए जाने वाले मार्ग दिशा निर्देशों से लेकर समाचार पत्रों में गुरमुखी लिपि का मुख्य रूप से प्रयोग किया जाता है। भारत के अतिरिक्त प्रत्येक वह स्थान जहां सिख बसते है गुरमुखी लिपि का प्रभाव देखने को मिलता है। कनाडा में गुरमुखी लिपि में लिखित पंजाबी भाषा को कनाडा की तीसरी भाषा होने का दर्जा प्राप्त है इसका स्थान क्रमशः अंग्रेजी व फ्रेंच के बाद आता है।

गुरमुखी का अर्थ होता है गुरु के मुख से निकली हुई। पंजाब प्राचीन काल से गुरुओं के प्रभाव का क्षेत्र रहा है तथा वर्तमान में भी गुरु पंथ का अनुसरण करता है इस कारण गुरुओं द्वारा चलाई गई यह लिपि गुरु नाम अपने साथ जोड़े रखकर अपना अस्तित्व बनाए हुए है। पंजाबी लहजे व ध्वनियों को इस लिपि द्वारा बखूबी रूप से लिखित रूप दिया जा सकता है। सिखों के पवित्र धर्म ग्रंथ श्री गुरु ग्रंथ साहिब की रचना भी गुरमुखी लिपि में की गई है। हिन्दी के लिए प्रयोग की जाने वाली देवनागरी लिपि से गुरमुखी लिपि काफी हद तक मेल खाती है तथा यह लिपि हिन्दी के प्रभाव में ही पंजाब क्षेत्र में फैली है।

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