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भारत की मुद्रा के बारे में

भारत की मुद्रा रुपया है तथा रूपया आज से नहीं बल्कि 16 वीं शताब्दी से भारत की मुद्रा के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। 16 वीं शताब्दी में शेरशाह सूरी ने जब मुगल साम्राज्य को हराकर अपना राज्य स्थापित किया था उस समय उसने भारत में चांदी के सिक्के जारी किए तथा इन चांदी के सिक्कों को रूपया कहा जाता था वहीं से इस शब्द का जन्म हुआ। शेर शाह सूरी द्वारा चलाए गए चाँदी के सिक्के उसके साम्राज्य के पतन के बाद पुनः सत्ता में आने वाले मुगल साम्राज्य में तथा ब्रिटिश काल में भी इसी नाम से चलते रहे। इस प्रकार 500 वर्ष से भी अधिक पुराना भारतीय मुद्रा का यह नाम "रूपया" आज भी भारत में विद्यमान है।

रुपए के छोटे रूप को पैसा कहा जाता है एक रुपए में 100 पैसे होते हैं। भारत में मुद्रा प्रबंधन का कार्य रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा किया जाता है जो कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट 1934 के अंतर्गत कार्य करता है व भारत के अंदर रुपए का प्रबंधन करता है। भारत में पैसे के तौर पर प्रयोग की जाने वाली वर्तमान में सबसे छोटी मुद्रा का रूप है 50 पैसे। क्योंकि इससे छोटे सभी रूपों को चलन से बाहर कर दिया गया है जिसमें एक पैसा, दो पैसा, पंजी, दसी इत्यादि अब भारत में मान्य नहीं है।

भारत में रुपए के लिए प्रयोग होने वाले सिक्के व नोट हैं 01 रुपया, 02 रूपए, 05 रुपए, 10 रुपए, 20 रुपए, 50 रुपए, 100 रुपए, 200 रुपए, 500 रुपए तथा 2000 रुपए। इससे पूर्व 1000 रुपए का नोट भी चला करता था लेकिन 08 नवंबर 2016 के दिन हुई नोटबंदी के बाद नए नोट भारत में जारी किए गए जिनमें से ₹1000 के नोट की जगह ₹2000 के नोट को चलन लाया गया। भारतीय रुपए को अंतरराष्ट्रीय तौर पर ISO नाम INR (इंडियन नेशनल रुपी) के नाम से जाना जाता है क्योंकि भारत के अलावा अन्य पड़ोसी देश जैसे कि पाकिस्तान की करेंसी को भी रूपया नाम से जाना जाता है इसलिए भारतीय रुपए को अलग से दर्शाने लिए इसके साथ भारत देश का नाम जोड़ा जाता है।

भारतीय रुपए का चिन्ह 08 जुलाई 2011 को प्रोफेसर डी. उदय कुमार (आई. आई. टी. गुवाहाटी) द्वारा बनाया गया था तथा वर्ष 2011 से ही यह चलन में है। इससे पूर्व रुपए को दर्शाने के लिए हिन्दी की देवनागरी लिपि के "रू" अक्षर तथा अंग्रेजी के "Rs." अक्षर का प्रयोग किया जाता था। ब्रिटिश काल के समय भारतीय रुपए को मिडल ईस्ट के देशों के मुद्रा के तौर पर भी प्रचारित किया गया था परंतु वर्ष 1947 में भारत से ब्रिटिश राज समाप्त होने के पश्चात इन देशों ने भी धीरे-धीरे अपनी करेंसी बदल ली है व ब्रिटिश प्रभाव से बाहर आ गए।

भारतीय मुद्रा के बारे में सबसे रोचक बात जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं कि वर्ष 1954 से लेकर 1978 तक भारत में 05 हज़ार व 10 हज़ार के नोट चला करते थे लेकिन वर्ष 1978 में हुई नोटबंदी में 05 व 10 हज़ार के नोटों को समाप्त कर दिया गया परन्तु भारत की अर्थव्यवस्था इससेे ज्यादा प्रभावित नही हुई क्योंकि भारत की 90% से अधिक जनसंख्या ने ये नोट देखे तक नही थे। भारत एक बहुभाषी देश है जिस कारण भारतीय मुद्रा पर नोट का मूल्य 15 क्षेत्रीय भाषाओं में अंकित होता है ताकि हर क्षेत्र के लोग इसे पढ़कर नोट के मूल्य को पहचान सकें। इसके अलावा जहां पूरे देश में रुपया शब्द प्रचलित है वहीं भारतीय मुद्रा को बांग्ला क्षेत्र में "टका" नाम से संबोधित किया जाता है।

यदि आप अपने कंप्यूटर में रुपए के चिह्न को अंकित करना चाहते हैं तो इसके लिए आप CTRL+SHIFT+$ के निशान को दबाकर इस चिन्ह को अपने कंप्यूटर में लिख सकते हैं। 2011 के बाद बनने वाले सभी कंप्यूटर में रुपए के चिह्न को डाले जाने का अतिरिक्त फंक्शन दिया गया है। भारतीय रुपया विश्व की पांचवीं ऐसी मुद्रा है जिसने अपना अलग चिह्न बनाया है इसके अलावा डॉलर तथा यूरो जैसी करेंसी के चिह्न पहले से ही पूरे विषय में प्रचलित हैं।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के कुछ नियमों की की जाए तो रुपए के इतिहास से लेकर आज तक आरबीआई ने इस पर बहुत से प्रभाव डाले हैं। सबसे पहला वर्ष 1994 में ₹1 के नोट को इसलिए छापना बंद कर दिया गया था क्योंकि इसे छापे जाने में इसके मूल्य से ज्यादा खर्च आ रहा था यानी कि ₹1 का नोट बनाने में ₹1 से अधिक का खर्च आने के कारण वर्ष 1994 में इसे छापना बंद कर दिया गया परन्तु 20 वर्ष बाद 06 मार्च 2014 को इसे पुनः छापना चालू किया गया। रुपए के बारे में जानने योग्य है कि वर्ष 1947 में 01 रूपया की कीमत 01 डॉलर के बराबर होती थीथल जो कि वर्ष 2000 आते-आते 01 डॉलर = 50 रुपए के पार चली गई। मौजूदा नियमों के अनुसार यदि रुपए का नोट 51% से अधिक फट चुका है तो इसे बैंक से बदलवाया जा सकता।

ऐसा नहीं है कि रुपए को शुरू से ही सो पैसों में बांटा जाता रहा है भारतीय मुद्रा में दशमलव प्रणाली 01 अप्रैल 1957 को अपनाई गई थी। इससे पूर्व रुपए को आना व पाई में बांटा जाता था। इस प्रणाली में एक रूपया 16 आना के बराबर होता था तथा आधा रूपया 08 आना के बराबर। वहीं एक रुपए को 192 पाई में बांटा गया था। इसके अलावा एक रुपए को पैसा प्रणाली में भी बांटा गया था। जहाँ 01 रूपया 64 नए पैसे के बराबर होता था। लेकिन 01 अप्रैल 1957 को दशमलव प्रणाली अपनाई गई तथा 01 रुपए को 100।पैसों के बराबर कर दिया गया। परन्तु रुपए की कीमत गिरने के कारण धीरे-धीरे पैसा की वैल्यू गिरने लगी तथा 25 पैसे से कम के सिक्के चलन से बाहर हो गए जिस कारण 30 जून 2011 को 01 से लेकर 25 पैसे के सिक्कों को आधिकारिक रूप से चलन से बाहर कर दिया गया।

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