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NAFTA Full Form in Hindi नाफ्टा फुल फॉर्म

दुनिया के सभी देश अपने आसपास के देशों से व्यापार बढ़ाना चाहते हैं ताकि उनके देश में मैन्यूफैक्चरिंग का कार्य कर रही कंपनियां बड़े स्तर पर अपने उत्पाद बेच सकें और अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकें। इस तरह का अंतराष्ट्रीय मुनाफा किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने का एक सबसे अच्छा और सबसे बेहतर विकल्प होता है। हर देश की कंपनी चाहती है कि वह दूसरे देशों में अपना व्यापार फैलाए। व्यापार को फैलाने के लिए दो देशों के मध्य व्यापार की प्रक्रिया को सरल बनाना आवश्यक होता है इस प्रक्रिया को आसान बनाने हेतु सभी देश आपस में कुछ समझौते करते हैं यह समझौते विशेषकर उन देशों के मध्य होते हैं जिनके साथ देश की भौतिक सीमा लगती हो। जैसे कि भारत की सीमा नेपाल और बांग्लादेश जैसे देशों के साथ लगती है इसलिए यदि भारत इन देशों के साथ व्यापार करे तो ज्यादा सुगम होगा बजाए यूरोपीय के देशों के साथ व्यापार करने के। क्योंकि पड़ोसी देशों के बाजार तक अपना सामान पहुँचाना ज्यादा आसान व सहज होता है। इसलिए जिन देशों की भौतिक सीमा आपस में मिलती हैं वे अपने व्यापार को और अधिक सरल व सहज बनाने के लिए कुछ सीमा समझौते करते हैं जैसे कि वे किसी देश से आने वाले सामान पर टैक्स कम लगाएंगे या फिर इसे बिल्कुल टैक्स फ्री कर देंगे जिससे दोनों देशों की कंपनियां आपस में सामान का आदान-प्रदान कर सकें। इस प्रकार के समझौते दो या दो से अधिक देशों के मध्य आयात-निर्यात आसान बनाते हैं जिससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को गति मिलती है। इसी प्रकार का एक समझौता है नाफ्टा। जो भौतिक रूप से जुड़े तीन देश सयुंक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और मैक्सिको के बीच हुआ है। नाफ्टा के अंतर्गत इन तीनों देशों ने एक दूसरे के साथ किए जा रहे किसी भी प्रकार के व्यापारिक आयात-निर्यात को निशुल्क कर दिया है।

NAFTA की फुल फॉर्म :

NAFTA की फुल फॉर्म है North American Free Trade Agreement इसे हिन्दी में नार्थ अमेरिकन फ्री ट्रेड एग्रीमेंट लिखा जाता है तथा इसका हिन्दी में अर्थ होता है उत्तरी अमेरिका मुक्त व्यापार समझौता। जैसे कि इसके नाम से ही पता चलता है कि यह समझौता उत्तरी अमेरिकी महाद्वीप पर स्थित देशों के मध्य हुआ एक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट समझौता है जो दो या दो से अधिक देशों के मध्य होने वाले व्यापार को टैक्स फ्री बनाता है। इस समझौते के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और मैक्सिको तीनों देश बिना किसी सीमा शुल्क के अपनी सीमाओं के आर-पार आयात-निर्यात कर सकते हैं। जिससे इन तीनों देशों की कंपनियों को संयुक्त रूप से लाभ पहुँचता है तथा इन तीनों देशों की कंपनियां बिना किसी रूकावट के आपस में व्यापार कर सकती हैं और साथ ही अपने लाभ के अनुसार इन तीनों देशों में से किसी भी देश में बिना किसी बाधा के अपना मैन्युफैक्चरिंग हब स्थापित कर सकती हैं। यह समझौता वर्ष 1993 में किया गया था तथा 01 जनवरी 1994 से प्रभावी हो गया था। इस समझौते के समय अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन थे। जो कि वर्ष 2001 तक अमेरिका के राष्ट्रपति रहे।

नाफ्टा समझौता किए जाने के बाद तीनों देशों की अर्थव्यवस्था पर मिले-जुले प्रभाव देखने को मिले। जिनमें तीनों देशों के संयुक्त रूप से कुछ फायदे हुए तथा संयुक्त रूप से ही कुछ नुकसान भी हुए। संयुक्त राज्य अमेरिका की नजर से देखा जाए तो उसने यह समझौता अपने देश की कंपनियों को कनाडा और मैक्सिको के बाजार में सस्ते दामों पर अपने उत्पाद बेचने हेतु सक्षम बनाने के लिए किया था और साथ ही वह चाहता था कि मेक्सिको से अवैध तरीके से आ रहे अप्रवासियों पर भी लगाम लग सके। हालांकि अमेरिका इस उद्देश्य में ज्यादा सफल नहीं हो सका और इसके विपरीत मेक्सिको से आने वाले अवैध अप्रवासियों की सँख्या बढ़ गई और साथ ही इसका एक साइड इफेक्ट यह हुआ कि यूएसए की कंपनियां अपने मैन्युफैक्चरिंग हब मैक्सिको जैसे देश में स्थापित करने लगी जहां पर उन्हें सस्ते में मैन-पॉवर मिल जाती थी जिस कारण अमेरिका में बेरोजगारी बढ़ने लगी। इसके अलावा नाफ्टा केे तहत इन तीनों देशों ने एक दूसरे को मोस्ट फेवर्ड नेशन का स्टेटस भी दिया जिसके तहत तीनों देशों को एक दूसरे के व्यापारिक लाभ का बराबर ध्यान रखना था। इस समझौते के अनुसार यह तय किया गया था कि तीनों देशों के मध्य व्यापार में आने वाली सभी बाधाओं को दूर किया जाएगा और देश के भीतर चलने वाले घरेलू कानूनों को इस समझौते से नीचे रखा जाएगा और घरेलु कानून किसी भी प्रकार से इन तीनों देशों के मध्य होने वाले व्यापार को प्रभावित नही कर सकेंगे। इसके अलावा इस समझौते में यह भी प्रावधान रखा गया कि तीनों देशों की कंपनियों के मध्य शुद्ध प्रतिस्पर्धा होगी। इस समझौते के बाद यह संभावना भी जताई गई कि इन तीनों देशों में इन्वेस्टमेंट की अपॉर्चुनिटी एक साथ बढ़ेगी और साथ ही यदि व्यापार से संबंधित कोई पुराना विवाद है तो उसे सुलझाया जाएगा।

परन्तु इन सब के बावजूद इस समझौते को अमेरिका में सदैव एक नकारात्मक नजरिए से देखा गया और यह समझौता वहां की राजनीति में दो दशकों तक बहस का मुख्य विषय बना रहा। बहुत से तर्कों के अनुसार अमेरिका इस समझौते के तहत यूरोपियन यूनियन जैसा संघ बनाना चाहता था। लेकिन इस समझौते के प्रति लोगों में रोष की भावना थी जो समय-समय पर उभर कर सामने आती रही। परिणाम स्वरूप वर्ष 2018 में इस समझौते को "यूनाइटेड स्टेट्स-मैक्सिको-कनाडा संधि" (यूएसएमसीए) से बदल दिया गया।

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