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सबरीमाला मंदिर कहाँ स्थित है

वर्ष 2018 में सबरीमाला मंदिर उस समय सुर्खियों में आया जब महिलाओं पर इस मंदिर में आने पर लगे प्रतिबंध को सुप्रीम कोर्ट द्वारा हटा दिया गया। यह प्रतिबंध हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तथ्य दिया की लिंग, जाति, रंग इत्यादि के आधार पर किसी से भी भेदभाव नहीं किया जा सकता और सबरीमाला मंदिर में महिलाओं पर लगी रोक लिंग आधारित भेदभाव को बढ़ावा देती है। इसलिए वर्ष 1991 से 10 वर्ष से लेकर 50 वर्ष तक की महिलाओं पर सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने पर लगे प्रतिबंध को वर्ष 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देकर हटा दिया। इसके बाद दक्षिण भारत में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध होने लगा। आज हम जानेंगे सबरीमाला मंदिर के बारे में और साथ ही जानेंगे कि सबरीमाला मंदिर मामला क्या है, यह मंदिर कहां पर स्थित है, यहां विशेष रूप से किस भगवान की पूजा की जाती है और किन मायनों में यह मंदिर खास हो जाता है।

सबरीमाला मंदिर जिसे शुद्ध रूप में "शबरीमला" के नाम से जाना जाता है केरल के पत्तनमत्तिट्टा जिले में स्थित है। यह मंदिर दक्षिण भारत के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है यहां पर प्रतिवर्ष 2 करोड से अधिक श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। सबरीमाला मंदिर में भगवान अय्यपन की आराधना की जाती है। भगवान अय्यप्पन जिन्हें सास्था, धर्मसास्था, हरिहरपुत्र और मनीकंटा के नाम से भी जाना जाता है भगवान शिव और मोहिनी के पुत्र माने जाते हैं। मोहिनी को वेदों में भगवान विष्णु का स्त्री अवतार माना गया है। भगवान अयप्पन के बारे में मान्यता है कि वे एक ब्रह्मचारी थे इसलिए उनके मंदिर में 10 वर्ष से अधिक और 50 वर्ष से कम की उम्र महिला का आना वर्जित है अर्थात वह महिला जो यौवन अवस्था को प्राप्त कर ले मंदिर में नही आ सकती। वह केवल अपने यौवन की शुरुआत से पूर्व या इसकी समाप्ति के पश्चात ही मंदिर में आ सकती है। इसलिए इस मंदिर में छोटी बच्चियों या फिर बूढ़ी औरतों को ही प्रवेश की अनुमति है। महिलाओं के इस प्रवेश पर कानूनी प्रतिबंध वर्ष 1991 में केरल हाईकोर्ट द्वारा लगाया गया था। इस प्रकार धार्मिक ही नहीं बल्कि कानूनी तौर पर भी इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को अवैध करार दे दिया गया था।

सबरीमाला मंदिर चारों ओर से जंगल से घिरा हुआ है जिसे "पूनगनम" कहा जाता है। इस मंदिर का निर्माण 12 वीं शताब्दी से पूर्व हुआ था तथा केरला के अन्य मंदिरों की तरह ही इस मंदिर को दक्षिणी वास्तुकला के अनुरूप बनाया गया है। सबरीमाला मंदिर के श्रद्धालुओं के बारे में जानने योग्य है कि ये काले तथा नीले वस्त्र ही ही धारण करके रखते हैं जिस कारण इन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है तथा ये श्रद्धालु अपनी तीर्थ यात्रा के पूरे ना होने तक अपने केश (बाल) नहीं काटते। सबरीमाला मंदिर सभी धर्मों के लोगों के लिए खुला है तथा माना जाता है कि यह शैव तथा वैष्णव धर्म के अनुयायियों के मध्य एक पुल की तरह काम करता है। इस मंदिर में बिना भेदभाव के सभी धर्मों के लोग आकर भगवान अयप्पन के दर्शन कर सकते हैं बशर्ते 10 वर्ष से 50 वर्ष की उम्र की महिला साथ में न हो। इस उम्र की महिलाओं को दर्शन करने की अनुमति नहीं है। यद्द्पि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह प्रतिबंध कानूनी रूप से तो हटा दिया गया है लेकिन धार्मिक रूप से यह प्रतिबंध हट पाएगा या नहीं इसके बारे में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता।

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