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भारत का लौह पुरुष किसे कहते हैं

भारत के लौह पुरुष (आयरन मैन ऑफ इंडिया) उपनाम से सरदार वल्लभभाई पटेल को जाना जाता है। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारत का एकीकरण किया था और बिस्मार्क ने जर्मनी का एकीकरण किया था इसलिए जर्मनी की तर्ज पर सरदार वल्लभभाई पटेल को "भारत का बिस्मार्क" नाम से भी जाना जाता है। महात्मा गांधी से प्रेरित होकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा बनने वाले सरदार पटेल ने सर्वप्रथम "खेड़ा खण्ड" में सूखा पड़ने पर करों में छूट देने के लिए ब्रिटिश सरकार के खिलाफ संघर्ष किया था जिसमें वे सफल हुए थे। इस सफलता के पश्चात सरदार पटेल का नाम भारत के मुखर नेताओं में शामिल हो गया।

आज हम जिस अखंड भारत को देखते हैं इसे बनाने का पूरा श्रेय वल्लभ भाई पटेल को जाता है जिन्होंने भारत की 562 छोटी-बड़ी रियासतों को मिलाकर और देसी राजाओं से बात-चीत करके उन्हें स्वेच्छा पूर्वक बिना रक्त बहाए भारत में मिलाया। इन सभी रियासतों में से मात्र तीन रियासतें ऐसी थी जिन्होंने भारत में स्वेच्छा पूर्वक विलय करनेे में आनाकानी की। इनमें पहला नाम हैदराबाद दूसरा नाम जूनागढ़ और तीसरा नाम जम्मू कश्मीर का था। जूनागढ़ के नवाब के खिलाफ जब जन विद्रोह हुआ तो वह पाकिस्तान भाग गया जिस कारण जूनागढ़ का भारत में विलय हो गया। अब केवल हैदराबाद और जम्मू कश्मीर को छोड़कर बाकी सभी रियासतें वल्लभ भाई पटेल की कूटनीति के चलते भारत का हिस्सा बन चुकी थी। इसके बाद हैदराबाद में भारतीय सेना को भेजा गया और ऑपेरशन पोलो चलाकर हैदराबाद का भारत में विलय करवाया गया। इसके पश्चात जम्मू कश्मीर की बारी आई लेकिन भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने बीच में हस्तक्षेप कर जम्मू कश्मीर को भारत-पाक के बीच का एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बताया जिस कारण जम्मू-कश्मीर के भारत विलय में बाधाएं उत्पन्न हो गई। लेकिन फिर भी भारत की सभी रियासतों को एक कर अखंड भारत बनाने में सरदार वल्लभ भाई पटेल सफल हुए।

भारत के प्रथम गृह मंत्री और प्रथम उप प्रधानमंत्री रहे सरदार भाई पटेल को भारत की सभी रियासतों का एकीकरण करने के लिए पूर्ण सैन्य शक्ति प्राप्त थी। वल्लभ भाई पटेल को मुख्य रूप से "सरदार पटेल" नाम से जाना जाता है तथा उन्हें "सरदार" की उपाधि "बरडौली सत्याग्रह" का नेतृत्व करने के लिए वहां की महिलाओं द्वारा दी गई थी। सरदार पटेल भारत छोड़ो आंदोलन की तैयारियों के समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 49 वें अध्यक्ष भी रहे। वर्ष 1875 में जन्मे सरदार वल्लभभाई पटेल की मृत्यु 15 दिसंबर 1950 को हृदयघात के चलते हुई। स्वतंत्र भारत में सरदार पटेल को श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें एकता की मिसाल कहा जाता है तथा उनके सम्मान में दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा "स्टेचू ऑफ यूनिटी" (182 मीटर) को गुजरात के नर्मदा जिले में स्थापित किया गया जिसका उद्धघाटन 31 अक्टूबर 2018 को किया गया था।

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