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मंदिर कितने प्रकार के होते हैं?

भारत एक हिंदू बहुसंख्यक देश है भारत की लगभग 80 फ़ीसदी आबादी हिंदू धर्म का अनुसरण करती है। यही कारण है कि भारत में लाखों की संख्या में मंदिर विद्यमान है। लेकिन भारत एक विस्तृत भू-भाग पर बसा हुआ है इसलिए इसके अलग-अलग भागों पर जो मंदिर बने हैं उनके निर्माण की कला और प्रकार अलग-अलग हैं। भारत में उत्तर से दक्षिण तक देखा जाए तो मुख्य रूप से तीन प्रकार की शैलियों में बने मंदिर पाए जाते हैं। ये शैलियां हैं नागर शैली, बेसर शैली और द्रविड़ शैली।

नागर शैली : इस शैली के मंदिर मुख्य रूप से उत्तर भारत में पाए जाते हैं इन मंदिरों का विस्तार हिमालय की पर्वत श्रृंखला से नर्मदा नदी तक है। नागर शैली का नाम नगर शब्द से बना है क्योंकि इन मंदिरों को बनाए जाने की शुरुआत नगरों से हुई थी। इस शैली में बनाए जाने वाले मंदिर संरचनात्मक होते हैं संरचनात्मक मंदिर उन मंदिरों को कहा जाता है जिन्हें छोटे-छोटे टुकडे जोड़कर बनाया जाता है। जबकि दूसरे प्रकार के मंदिर चट्टान काटकर बनाए जाते हैं जहां एक ही चट्टान से पूरा मंदिर बना दिया जाता है। नागर शैली में बने मंदिरों के उदाहरण के रूप में हम खजुराहो के मंदिरों को देख सकते हैं।

द्रविड़ शैली : मंदिर निर्माण की दूसरी शैली को द्रविड़ शैली कहा जाता है। इस शैली में बने मंदिर दक्षिण भारत में पाए जाते हैं इनका विस्तार कृष्णा नदी से लेकर कन्याकुमारी तक है इन मंदिरों की खास पहचान यह है कि ये मंदिर बहु-मंजिला होते हैं। दक्षिण भारत में जितने भी मंदिर बने हैं उनमें से अधिकतम मंदिर द्रविड़ शैली में बने हुए हैं इस शैली में बने मंदिर के उदाहरण के रूप में हम मीनाक्षी मंदिर को देख सकते हैं।

बेसर शैली : इस शैली में बने मंदिर नागर शैली और द्रविड़ शैली का मिला-जुला रूप होते हैं ये मंदिर मुख्य रूप से मध्य भारत में पाए जाते हैं। इनका विस्तार विंध्याचल की पहाड़ियों से लेकर कृष्णा नदी तक देखा जा सकता है। इन मंदिरों के उदाहरण के रूप में हम वृंदावन के वैष्णव मंदिर को देख सकते हैं।

मंदिर की शैली व प्रकार : 03

नाम : नागर शैली, द्रविड़ शैली और बेसर शैली

भारत में मंदिर बनाए जाने की शुरुआत : मौर्य काल (185 ईसा पूर्व से 322 ईसा पूर्व) से

मंदिरों की शैलियों के विस्तार की शुरुआत : गुप्तकाल (चौथी से छठी शताब्दी) के बाद

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