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भारतीय इतिहास का काल विभाजन किसने किया?

इतिहास अध्ययन करने के लिए समय-समय पर अनेक प्रकार के प्रयोग किए गए हैं। इसमें जो सबसे बेहतरीन प्रयोग कर रहा है वह इतिहास को अलग-अलग कालखंडों में बांट कर समझना। इतिहास को अलग-अलग विद्वानों ने भिन्न-भिन्न प्रकार से बांटा है। आज के समय में अध्ययन की दृष्टि से प्रचलित रूप में इतिहास को मुख्य रूप से तीन खंडों में बांटा जाता है। चाहे वह भारत का इतिहास हो या दुनिया का, मुख्य रूप से हम इसे तीन भागों में बांटकर पढ़ते हैं। सबसे पहला भाग है प्राचीन, दूसरा मध्यकालीन और तीसरा आधुनिक। भारत के सापेक्ष में बात की जाए तो भारत का प्राचीन इतिहास प्राचीनतम काल से लेकर 700 ईस्वी तक का रहा है, उसके बाद मध्यकालीन इतिहास 700 से लेकर 1707 ईस्वी तक का रहा है और उसके बाद का जो इतिहास है उसे आधुनिक इतिहास के नाम से जाना जाता है जिसमें अंग्रेजों के औपनिवेशिक शासन के बारे में सर्वाधिक बात की जाती है।

इतिहास को तीन भागों में बांटने का श्रेय मुख्य रूप से जर्मन इतिहासकार क्रिस्टोफ सेलियरस को जाता है। जिसका जन्म 1638 में हुआ था और 1707 यानी कि वही वर्ष जिस वर्ष भारत का मध्यकालीन इतिहास समाप्त होता है, उस वक्त सेलियरस की मृत्यु हुई थी। भारत के इतिहास के अंतर्गत प्राचीन भारतीय इतिहास को जानने के लिए धर्म ग्रंथों से जानकारी प्राप्त की जाती है और इसमें लगभग 700 ईस्वी तक का इतिहास आता है यानी कि मोटे तौर पर माना जाता है कि जिस समय इस्लाम धर्म की शुरुआत हुई उस समय मध्यकालीन इतिहास का दौर शुरू हो गया था ऐसा भारत के सापेक्ष में माना जाता है। वहीं जब वर्ष 1707 में औरंगजेब की मृत्यु हुई उसी के साथ आधुनिक इतिहास शुरू हुआ माना जाता है इसीलिए के इस्लाम की स्थापना से पूर्व प्राचीन इतिहास व औरंगजेब की मृत्यु के बाद आधुनिक इतिहास की शुरुआत हुई थी और इन दोनों समयों के बीच का इतिहास मध्यकालीन इतिहास कहलाता है।

भारत के प्राचीन इतिहास को जानने के लिए हम वेदों का सहारा लेते हैं इसके अलावा प्राचीन समय में भारत का भ्रमण करने वाले विदेशी यात्रियों ने जो घटनाओं का विवरण दिया है उसका भी अध्ययन किया जाता है। तो वहीं जब हमें प्रागैतिहासिक काल को जानना होता है तो हम आदिमानव द्वारा प्रयोग किए गए पत्थर व अन्य धातुओं के औजारों का अध्ययन करते हैं। इसके बाद जब मध्यकालीन इतिहास शुरू हुआ तो उसमें लेखन के साथ-साथ जो सिक्के भी चलाए गए उनके आधार पर इतिहास का पता लगाया जाता है। तो वहीं आधुनिक इतिहास में अंग्रेजों द्वारा अनेक प्रकार के लिखित साक्ष्य छोड़े गए हैं क्योंकि उनके द्वारा नक्शों का निर्माण भी करवाया गया था और साथ में उन्होंने जनगणना की भी शुरुआत वर्ष 1881 में कर दी थी। इसलिए आधुनिक इतिहास के बारे में हमारे पास अधिक जानकारी उपलब्ध है।

वैसे तो भारत के इतिहास से छोटे-बड़े अनेक साम्राज्य व घटना आधारित कालखंड जुड़े हुए हैं लेकिन मौटे तौर पर हम ताम्र पाषाण काल से जुड़ी सिंधु घाटी सभ्यता की बात करते हैं। उसके बाद वैदिक युग की बात करते हैं जिसे दो भागों में बांटा गया है ऋग्वैदिक और उत्तर वैदिक काल, इसके बाद हम मौर्य साम्राज्य की बात करते हैं मौर्य साम्राज्य की समाप्ति पर गुप्त काल का प्रारंभ माना जाता है और उसके बाद जब भारत में विदेशी आक्रमण शुरू हुआ और मुस्लिम शासकों ने अपना अधिपत्य स्थापित किया तो हम दिल्ली सल्तनत काल को देखते हैं और फिर मुगल काल आता है और अंत में हम भारत में अंग्रेजों का आगमन देखते हैं तत्पश्चात वर्ष 1947 में भारत की स्वतंत्रता की कहानी लिखी जाती है। भारत पर भारतीयों का अधिकार लगभग 1000 साल के अंतराल के बाद दिखाई देता है लेकिन यह स्पष्ट रहना चाहिए कि जिस भारत की बात हम आज करते हैं उस भारत में ऐतिहासिक तौर पर पाकिस्तान, बांग्लादेश, दक्षिण पूर्वी एशियाई देश तथा अफगानिस्तान व ईरान तक का भूभाग आता है क्योंकि इस क्षेत्र पर कभी न कभी भारतीय शासकों का अधिपत्य रहा है।

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