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ऋग्वेद की रचना कब हुई

प्रत्येक धर्म का दर्शन किसी ना किसी आधार पर टिका होता है इसी प्रकार हिंदू धर्म का दर्शन जिस आधार पर टिका है उसे वेद कहा जाता है भारत में मुख्य रूप से नौ दर्शन हुए हैं जिसमें से छह दर्शन ऐसे हैं जो मूल रुप से वेदों को मानते हैं और किसी ना किसी प्रकार से उन पर आधारित है लेकिन वेदों में भी एक सबसे महत्वपूर्ण वेद है जिसे ऋग्वेद कहा जाता है तथा जिसे सनातन धर्म का सबसे आरंभिक स्रोत माना जाता है उसी के बारे में इस आर्टिकल में हम बात करेंगे जानेंगे कि वेद कब लिखा गया था और साथ में इसके बारे में कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी जो परीक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण है.

वैदिक संस्कृत भाषा में लिखा गया ऋग्वेद चारों वेदों में से सर्वप्रथम है इसकी परिभाषा के अनुसार रिचाओं का क्रमबद्ध संग्रह ऋग्वेद कहलाता है मंडलों की बात की जाए तो और ऋग्वेद में मूल रूप से 10 मंडल है और 1028 सूक्त हैं और यह सब मिलकर 10,462 रिचाओं का निर्माण करते हैं वैदिक संस्कृत में लिखित ऋग्वेद को लिखे जाने का समय 1500 से 1000 ईसा पूर्व तक माना जाता है हालांकि ज्यादातर वेदों में विश्वास रखने वाले दर्शन इसे अपौरुष मानते हैं यानी कि वे मानते हैं कि से किसी व्यक्ति द्वारा नहीं लिखा गया है या किसी विद्वान द्वारा नहीं लिखा गया है बल्कि है उत्पन्न हुए हैं या फिर ईश्वर द्वारा की रचना की गई है.

ऋग्वेद की रचना आर्यों के समय में हुई है इसलिए जब हम ऋग्वेद को पढ़ते हैं तो इसमें आर्यों की राजनितिक प्रणाली की जानकारी भी हमें मिलती है साथ में इतिहास और ईश्वर की महिमा वे किस प्रकार से आग्रह किया करते थे उसके बारे में हमें जानकारी प्राप्त होती है रिचाओं को पढ़ने वाला ऋषि एक विशेष उपाधि धारण करता था जिसे होतृ नाम से जाना जाता था वेदों में मूल रूप से मंत्र हमें मिलते हैं और इन्हीं मंत्रों को कंठित कर वेदों का ज्ञान पीढ़ी दर पीढ़ी पहुंचाया जाता था इसलिए वेदों का ज्ञान मूल रूप से हमें श्रुति के आधार पर मिलता है

ऋग्वेद के तीसरे मंडल में सूर्य देवता सावित्री को समर्पित प्रसिद्ध गायत्री मंत्र विद्यमान है और साथ ही देवता सोम का उल्लेख इस ग्रंथ के नौवें मंडल में हमें मिलता है मूल रूप से यह ग्रंथ सनातन धर्म का प्रमुख ग्रंथ कहलाता है और हिंदू यूरोपीय भाषा परिवार में अभी तक उपलब्ध सभी रचनाओं में से पहली रचना माना जाता है वेदों की संख्या मूल रूप से चार है और इनमें से सबसे पहला वेद ऋग्वेद कहलाता है और इसे हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा पवित्र ग्रंथ माना जाता है जिन मंडलों की हमने बात की है दरअसल वे किताबें है यानी कि ऋग्वेद को 10 किताबों में बांटा गया है जिन्हें हम मंडल के रूप में जानते हैं कुछ विद्वानों के अनुसार ऋग्वेद को लिखे जाने का समय १७०० ईसा पूर्व  तक माना जाता है

साथ ही माना जाता है कि अंगिरास ऋषि परिवार ने 35% रिचाओं की रचना की है वही कंव ऋषि परिवार ने 25% वेद की रचना की है मौजूदा समय में अनेक ऋचाएं हैं जो ऋग्वेद में लिखी गई है उन्हें हिंदू धर्म से जुड़े कर्मकांडों में प्रयोग किया जाता है जिसमें शादी से लेकर अन्य महत्वपूर्ण जीवन के पड़ाव शामिल है ऋग्वेद में जिन देवताओं का जिक्र किया गया है उनमें वरुण अग्नि व सूर्य मुख्य रूप से उल्लेखनीय है इसके अलावा पर्वत और तूफान के देवता रुद्र का जिक्र बीच में आता है साथ में वर्ण व्यवस्था का जिक्र भी इस वेद के दसवें मंडल में किया गया है

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