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राज्य पर मिलिबैंड के विचारों की चर्चा कीजिए?

राज्य जिसे अंग्रेजी में State कहा जाता है, को लेकर अनेक विद्वानों ने समय-समय पर अपने विचार दिए हैं और उन्हीं में से एक विद्वान रहे हैं राल्फ मिलिबैंड, मिलिबैंड को राजनीतिक विज्ञान के क्षेत्र में बहुत अधिक सम्मान प्राप्त है उनके विचार मुख्य रूप से पुस्तक 'द स्टेट इन कैपिटलिस्ट सोसाइटी' में दर्ज हैं और इसी से संबंधित प्रश्न अक्सर शिक्षा में पूछे जाते हैं तो आइए जानते हैं कि राज्य पर मिलिबैंड के क्या विचार थे.

मिलिबैंड ने राज्य की चर्चा करते हुए इसके विभिन्न तत्वों को अपनी पुस्तक में दर्ज किया है उन्होंने माना है कि इन सभी तत्वों से मिलकर राज्य का निर्माण होता है और इनमें से सबसे पहला तत्व जो उन्होंने बताया है वह है सरकार.लेकिन इसके साथ मिकीबैंड ने यह भी स्पष्ट किया है कि सरकार एकमात्र तत्व नहीं है जो भी किसी भी राज्य का निर्माण करता है बल्कि इसके अन्य तत्व भी है

इसका दूसरा तत्व है प्रशासनिक तंत्र, जो कि राज्य के निर्माण में अहम भूमिका अदा करता है जिसे हम सामान्यत: सिविल सेवा या नौकरशाही के नाम से जानते हैं. यह प्रशासनिक कार्यपालिका होती है जो तटस्थ रहती है विशेषकर उदारवादी और लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में, तथा यही राजनेताओं के आदेशों को पूरा करती है उन नेताओं के आदेशों को जो मूल रूप से सत्ता में है और जिन्हें जिन्हें जनसमर्थन मिला है.

नौकरशाही के बाद तीसरा तत्व मिलिबैंड के अनुसार है सैन्य शक्ति और पुलिस. राज्य का आदेश लागू करने के लिए दमनकारी शक्तियों का प्रयोग किया जाना भी आवश्यक होता है जिन्हें की सैन्य या फिर पुलिस प्रणाली के रूप में हम देख सकते हैं

चौथा तत्व है न्यायपालिका, जिसे सरकारी तंत्र से स्वतंत्र समझा जाता है क्योंकि ऐसा होने पर ही यह सरकार को अवरोधित कर सकता है यदि वह कोई क्रूरता करती है या दमनकारी नीति अपनाती है. इसीलिए स्वतंत्र न्यायपालिका राज्य का एक अहम तत्व है.

पांचवा तत्व है उपकेंद्र या जिन्हें हम स्थानीय सरकार की इकाइयां कहते हैं. विशेष रूप से संघीय प्रणालियों में इनका बहुत ज्यादा महत्व होता है लेकिन एकात्मक प्रणाली में भी यह किसी ना किसी रूप में विद्यमान होती है और इन्हें अपने स्तर पर स्वतंत्रता प्राप्त होती है जो शक्ति के बलबूते एक विशेष क्षेत्र को नियंत्रित करती है और केंद्र सरकार के अधीन कार्य करती है. जहां पर सरकार संवैधानिक रूप से हस्तक्षेप करने से वंचित होती है हालांकि इसके बारे में मिलिबैंडने कहा कि केंद्र सरकार और इन इकाइयों के बीच राजनीति एक महत्वपूर्ण बन सकती है.

और अंतिम तत्व के रूप में मिलिबैंड राजनीतिक दल का उल्लेख करते हैं वे कहते हैं कि राजनीतिक दल भी राज्य का तत्व है. हालांकि ये दल राज्य तंत्र का हिस्सा नहीं हैं लेकिन इनका अपना महत्व रहता है तथा ये प्रतिनिधि के रूप में अपनी स्पष्ट भूमिका निभाते हैं तथा सरकार के समक्ष विपक्ष को खड़ा करते हैं. इन सभी तत्वों का जिक्र मिलिबैंड ने किया है और यही राज्य पर मिलिबैंड के विचार हैं.

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